नई दिल्ली। बिहार चुनाव के नतीजों के बाद अब सूबे में नीतीश कुमार सोमवार को साढ़े चार बजे सीएम पद की शपथ लेंगे। बिहार में नीतीश कुमार की कुर्सी तो पक्की थी, लेकिन बीजेपी के एक फैसले से हर कोई चौंक गया है। अब तक सुशील मोदी बीजेपी का चेहरा थे, लेकिन इस बार बीजेपी ने उनकी जगह पर तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी को नया नेता और उपनेता बना दिया है। वैसे नीतीश कुमार की पसंद सुशील मोदी ही रहे हैं। 2005 से 2013 तक दोनों ने साथ काम किया है। इसके बाद जब 2017 में फिर से नीतीश बीजेपी के साथ आए तो सुशील मोदी के साथ उनकी जोड़ी रिपीट हुई।
बीजेपी ने सुशील मोदी को क्यों किनारे लगा दिया और क्यों इस बार दो-दो डिप्टी सीएम बनाने का प्लान किया। लगता है कि भविष्य के लिए बिहार में बीजेपी की तैयारी है। बीजेपी को नए नेतृत्व की तलाश है और उसे ऐसा नेतृत्व चाहिए जो आगे चलकर नीतीश कुमार जैसा विकल्प बन सके और नए चेहरे सामने लाने से सत्ता का जातीय संतुलन भी बनेगा। तारकिशोर प्रसाद का चुनाव इसलिए भी हुआ कि वो कलवार जाति से आते हैं, जो वैश्य समुदाय में आता है। वो बिहार के कटिहार से लगातार चौथी बार विधायक बने हैं और अपने संघर्ष से बीजेपी में धीरे धीरे आगे बढ़े हैं।
वैसे तो बिहार में बीजेपी के अध्यक्ष संजय जायसवाल भी वैश्य समुदाय है। लेकिन तारकिशोर प्रसाद पुराने नेता हैं और शायद यही वजह है कि बीजेपी उनका नाम सामने लेकर आई। डिप्टी सीएम के तौर पर दूसरा नाम रेणु देवी का बताया गया है जो बीजेपी विधायक दल की उपनेता चुनी गईं। रेणु देवी नोनिया जाति से हैं, जो बिहार में महादलित समुदाय में आती है.। इस नाम से भी बिहार में सत्ता का जातीय संतुलन बनाने की कोशिश की गई।
बीजेपी के नए चेहरों से नीतीश कुमार को तो सीधे तौर पर कोई चुनौती नहीं है लेकिन जिस तरह से अचानक ये फैसला किया और सुशील मोदी को महत्व नहीं दिया वो नीतीश कुमार के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं। नीतीश कुमार के लिए इस बार चैलेंज बहुत बड़ा है। उनकी नई पारी में कितनी मजबूती होगी ये कहा नहीं जा सकता लेकिन लाचारी कितनी है ये साफ देखा जा सकता है।