चंडीगढ़ । कृषि बिल को लेकर देशभर में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। किसानों के साथ विपक्ष भी आंदोलन कर रहा है, वहीं अब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के 22 साल पुराने गठबंधन सहयोगी शिरोमणि अकाली दल ने एक और बड़ा झटका दे दिया है। कृषि बिल के विरोध में शिरोमणि अकाली दल ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से 22 साल पुराना नाता तोड़ने का ऐलान कर दिया है।
शिरोमणि अकाली दल की ओर से काफी वक्त पहले से ही मोदी सरकार के जरिए लाए गए कृषि बिलों का विरोध किया जा रहा है। विरोध के चलते अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल ने पहले ही केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा सौंप दिया था लेकिन अब अकाली दल ने कृषि बिल के विरोध में एनडीए से अलग होने का फैसला लिया है।
अकाली दल ने कहा है कि एमएसपी पर किसानों के उत्पाद की मार्केटिंग सुनिश्चित करने के अधिकार की रक्षा के लिए वैधानिक विधायी गारंटी देने से केंद्र सरकार ने मना कर दिया। इसके कारण बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन से अलग होने का फैसला करना पड़ा। पंजाबी और सिख समुदाय से जुड़े मुद्दों को लेकर केंद्र सरकार की असंवेदनशीलता को देखते हुए ये फैसला किया गया है।अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने पार्टी की कोर कमेटी में शामिल वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक की। इस बैठक में एनडीए से अलग होने का फैसला किया गया।
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने एनडीए छोड़ने के अकाली दल के फैसले को बादल के लिए राजनीतिक मजबूरी का एक हताश फैसला करार दिया है। सीएम अमरिंदर का कहना है कि किसान बिल पर बीजेपी की सार्वजनिक आलोचना के बाद इनके पास कोई अन्य विकल्प नहीं बचा था।
हरसिमरत कौर बादल का इस्तीफा इससे पहले कृषि बिल पर विरोध दर्ज करवाते हुए केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। केंद्रीय खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग मंत्री के पद से इस्तीफा देने के बाद हरसिमरत कौर बादल ने कहा था कि किसान विरोधी अध्यादेशों और कानून के विरोध में केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है.। किसानों के साथ उनकी बेटी और बहन के रूप में खड़े होने का गर्व है.।