नई दिल्ली। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज देश के नाम संबोधन में 3 मई तक लॉकडाउन बढ़ाने का ऐलान किया है। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कई बड़ी और अहम बातें कहीं हैं।
उन्होंने कहा कि कोरोना वैश्विक महामारी के खिलाफ भारत की लड़ाई बहुत मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है। आप सभी देशवासियों की तपस्या आपके त्याग की वजह से भारत अब तक कोरोना से होने वाले नुकसान को काफी हद तक टालने में सफल रहा है। आप लोगों ने कष्ट सहकर भी अपने देश को बचाया है। हमारे इस भारतवर्ष को बचाया है। मैं जानता हूं आपको कितनी दिक्कतें आईं हैं। किसी को खाने की परेशानी, किसी को आने-जाने की परेशानी, कोई घर, परिवार से दूर है, लेकिन आप देश की खातिर एक अनुशासित सिपाही की तरह अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। मैं आप सबको आदर पूर्वक नमन करता हूं।
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि हमारे संविधान में जिस 'वी द पीपल ऑफ इंडिया' की शक्ति की बात कही गई है, यह वही तो है। बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जी जंयती पर इस सामूहिक शक्ति का प्रदर्शन, यह संकल्प बाबा साहब को सच्ची श्रद्धांजलि है। बाबा साहब का जीवन हमें हर चुनौती को अपने संकल्प शक्ति और परिश्रम के बलबूते पर पार करने की निरंतर प्रेरणा देता है। मैं सभी देशवासियों की तरफ से बाबा साहब को नमन करता हूं।
आगे उन्होंने कहा कि इस समय देश के अलग अलग हिस्सों में अलग-अलग त्योहारों का समय है। भारत तो उत्सवों से भरा रहता है, उत्सवों से हरा रहता है। उत्सवों के बीच खिलखिलाता रहता है। बैसाखी, पूथांडू, बोहाग बीहू के साथ अनेक राज्यों में नए वर्ष की शुरुआत हुई है। लॉकडाउन के इस बंधन के बीच देश के लोग जिस तरह नियमों का पालन कर रहे हैं जितने संयम से अपने घरों में रहकर त्योहार सादगी से मना रहे हैं यह बातें बहुत प्रेरक और प्रशंसनीय है। मैं नए वर्ष पर आपके आपके परिवारजन की उत्तम स्वास्थ्य की मंगलकामना करता हूं।
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पीएम मोदी ने अपने संबोधन में आगे कहा कि आज दुनिया में कोरोना माहामारी की जो स्थिति है हम सब उससे परिचति हैं। अन्य देशों के मुकाबले भारत ने कैसे अपने यहां संक्रमण को रोकने के प्रयास किए हैं। आप इसके सहभागी और साक्षी हैं। जब हमारे यहां कोरोना का एक भी केस नहीं था उससे पहले ही भारत ने कोरोना प्रभावित देशों से आने वाले यात्रियों की स्क्रीनिंग शुरू कर दी थी। कोरोना के मरीज 100 तक पहुंचे उससे पहले भारत ने विदेश से आने वाले यात्रियों के लिए 14 दिनों का आइसोलनेशन अनिवार्य कर दिया। मॉल-जिम जैसे कई स्थान बंद कर दिए गए। जब कोरोना के 550 केस थे तब भारत ने 21 दिन के लॉकडाउन का कदम उठाया। भारत ने समस्या बढ़ने का इंतजार नहीं किया जैसे ही समस्या दिखी उसने तेजी से फैसले लेकर उसी समय रोकने का भरसक प्रयास किया।
उन्होंने कहा कि साथियो, वैसे यह एक ऐसा संकट है जिसमें किसी भी देश के साथ तुलना करना उचित नहीं है। फिर भी कुछ सच्चाइयों को हम नकार नहीं सकते। यह भी एक सच्चाई है कि दुनिया के बड़े-बड़े सामर्थ्यवान देशों में कोरोना के आंकड़े देखें तो उनकी तुलना में भारत बहुत संभली स्थिति में है। महीना, डेढ़ महीना पहले कई देश कोरोना संक्रमण के मामले में भारत के बराबर खड़े थे, आज उन देशों में कोरोना के केस 25-30 गुना बढ़ गए हैं। उन देशों में हजारों लोगों की दुखद मृत्यु हो चुकी है। भारत ने होस्लिटिक अप्रोच ना अपनाई होती, इंटिग्रेटेड अप्रोच ना अपनाई होती, समय पर तेज फैसले ना लिए होते तो आज भारत की स्थिति क्या होती इसकी कल्पना करते ही, रोये खड़ें हो जाते हैं। लेकिन बीते दिनों के अनुभव से यह साफ है कि हमने जो रास्ता चुना है आज की स्थिति में वही हमारे लिए सही है। सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन का बहुत बड़ा लाभ देश को मिला है।
उन्होंने कहा कि अगर सिर्फ आर्थिक दृष्टि से देखें तो यह महंगा जरूर लगता है, देश को बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है, लेकिन भारत वासियों की जिंदगी के आगे इसकी कोई तुलना नहीं हो सकती। सीमित संसाधनों के बीच भारत जिस मार्ग पर चला है उस मार्ग की चर्चा आज दुनिया में होना स्वाभाविक है। देश की राज्य सरकारों ने स्थानीय निकायों ने भी बहुत जिम्मेदारी के साथ काम किया है। 24 घंटे हर किसी ने अपना जिम्मा संभालने का प्रयास किया और हालत को संभाला है। लेकिन इन सब प्रयासों के बीच कोरोना जिस तरह फैल रहा है उसने विश्वभर में हेल्थ एक्सपर्ट को और सरकारों को और ज्यादा सतर्क कर दिया है।
उन्होंने कहा कि भारत में भी कोरोना के खिलाफ लड़ाई अब आगे कैसे बढ़े, हम विजयी कैसे हों, हमारे यहां नुकसान कम कैसे हो, लोगों की दिक्कतें कम कैसे करें इस बात को लेकर राज्य सरकारों से निरंतर चर्चा की है। इससे एक बात उभरकर आती है, हर किसी ने यही सुझाव दिया है, नागरिकों ने भी यही सुझाव दिया है कि लॉकडाउन को बढ़ाया जाए। कई राज्य तो पहले से ही लॉकडाउन बढ़ाने का फैसला कर चुके हैं। सारे सुझावों को ध्यान में रखते हुए भारत में लॉकडाउन को 3 मई तक और बढ़ाने का फैसला किया गया है। यानी 3 मई तक हम सभी को सभी देशवासी को लॉकडाउन में ही रहना होगा।
इस बीच हमें अनुशासन का उसी तरह पालन करना है जैसे करते आ रहे हैं। मेरी सभी देशवासियों से प्रार्थना है कि अब कोरोना को हमें किसी भी कीमत पर नए क्षेत्रों में फैलने नहीं देना है। स्थानीय स्तर पर एक भी मरीज बढ़ता है तो हमारे लिए चिंता का विषय़ होना चाहिए। कहीं भी एक भी मरीज की मौत होती है तो हमारी चिंता और बढ़नी चाहिए। इसलिए हमें हॉटस्पॉट को इंगित करके पहले से भी ज्यादा बहुत ज्यादा सतर्कता बरतनी होगी। जिन स्थानों को हॉटस्पॉट में बदलने की आशंका है वहां कड़ी नजर रखनी होगी कठोर कदम उठाने होंगे। नए हॉटस्पॉट का बनना हमारी तपस्या को चुनौती देगा नए संकट पैद करेगा। अगले एक सप्ताह में कोरोना के खिलाफ लड़ाई में कठोरता और ज्यादा बढ़ाई जाएगी।
20 अप्रैल तक हर कस्बे हर थाने हर जिले हर थाने को बड़ी बारीकी से परखा जाएगा। वहां लॉकडाउन का कितना पालन हो रहा है, कितना खुद को बचाया है इसका मूल्याकंन किया जाएगा। जो क्षेत्र इस अग्निपरीक्षा में सफल होंगे, जो अपने यहां हॉटस्पॉट नहीं बनने देंगे और जिनके हॉटस्पॉट में बदलने की आशंका कम होगी वहां 20 अप्रैल से जरूरी गतिविधियों की छूट मिलेगी। लेकिन याद रखिए यह अनुमति सशर्त होगी बाहर निकलने के लिए नियम बहुत सख्त होंगे। लॉकडाउन के नियम टूटते हैं और कोरोना का पैर हमारे इलाके में पड़ता है तो सारी अनुमित वापस ले ली जाएगी। ना खुद लापरवाही करनी है और ना किसी को करने देना है। कल इस बारे में सरकार की तरफ से एक वृस्तृत गाइडलाइन जारी की जाएगी।
उन्होंने कहा कि 20 अप्रैल से चिन्हित क्षेत्र में सीमित छूट का प्रावधान गरीबों की आजीविका का ध्याम में रख कर किया गया है। जो रोज कमाते हैं और अपनी जरूरत पूरी करते हैं। मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता में इनके जीवन में आई मुश्किल को कम करना है। पीएम गरीब कल्याण योजना के तहत सरकार ने मदद का हर संभव प्रयास किया है। नई गाइडलाइन बनाते समय भी उनके हितों का पूरा ध्यान रखा गया है। रबी फसल कटाई का काम चल रहा है केंद्र और राज्य सरकारों का प्रयास है कि किसानों को कम दिकक्कत हो। राशन से दवा तक पर्याप्त भंडार है। सप्लाई चेन की बाधाएं दूर की जा रही हैं।
उन्होंने कहा कि हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के मोर्च पर हम तेजी से बढ़ रहे हैं। देश में अब 220 से ज्यादा लैब टेस्टिंग कर रही है। विश्व का अनुभव कहता है कि कोरोना के 10 हजार मरीज होने पर 15 सौ से 16 सौ बे़ड की जरूरत है हमारे पास 1 लाख से ज्यादा बेड हैं। 600 से ज्यादा अस्पताल हैं जो सिर्फ कोविड इलाज का काम कर रहे हैं। इन सुविधा को और तेजी से बढ़ाया जा रहा है। आज भारत के पास भले सीमति संसाधन हो लेकिन मेरा वैज्ञानिकों से आग्रह है कि विश्व कल्याण के लिए आगे आएं कोरोना की वैक्सीन बनाने का हमारे वैज्ञानिक बीड़ा उठाएं।