डॉ. अंगद सिंह ने कहा कि इस अवसर पर जनपद में प्रत्येक वर्ष कार्यशाला जागरूकता अभियान के साथ-साथ हर रविवार मच्छर पर वार का क्रियान्वयन अत्यंत प्रभावी ढंग से किया जाता था, लेकिन इस बार कोरोना महामारी की वजह से हम लोग कोई भी जागरूकता कार्यक्रम नहीं कर पा रहे हैं लेकिन हमारे लैब टेक्निशियन सीएचसी पर आने बाले मरीजों के ब्लड सैम्पल लेकर मलेरिया की जाँच कर रहे हैं और उनको अस्पताल द्वारा दवाई भी दी जा रही है |
उन्होने बताया कि नगर पंचायतों व नगर पालिका तथा ग्राम पंचायतों के सहयोग से नियमित रूप से गली मोहल्लों में जाकर कोरोना को रोकने के लिए फागिंग किया जा रहा है | उन्होने मच्छरों से बचने के सबसे अच्छा उपाय मच्छरदानी इस्तेमाल करने को बताया है।
मच्छरों से फैलता है मलेरिया
मलेरिया एक जानलेवा बीमारी है, जो एनाफिलीस मादा मच्छर के काटने से फैलती है। इससे निकालने वाला प्रोटोजुअन प्लाज्मोडियम शरीर के ब्लड के साथ मिलने लगता है जिससे धीरे-धीरे खून की कमी होने लगती है। मलेरिया के कीटाणु दो तरह होते है एक तो प्लाज्मोडियम फ़ेल्सीपेरम (पीएफ़) जो कभी-कभी जानलेवा हो सकता है, वहीं दूसरा प्लाज्मोडियम वाईवेक्स (पीवी) यह सामान्य मलेरिया होता है। इन दोनों बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को सही समय पर उचित इलाज तथा चिकित्सकीय सहायता द्वारा ठीक किया जा सकता है। सरकारी अस्पतालों, प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में मलेरिया का निःशुल्क उपचार किया जाता है।
यह है मलेरिया के लक्षण सिर में तेज दर्द होना, उल्टी होना या जी मचलना, ठंड के साथ ज़ोर कंपकंपी होना और कुछ देर बाद सामान्य हो जाना, कमजोरी और थकान महसूस होना, शरीर में खून की कमी होना, मांसपेशियों में दर्द होना एवं बुखार उतरते समय पसीना आना आदि लक्षण होते है।