डा. नवीन सिंह का कहना है कि इस बीच बीड़ी-सिगरेट व अन्य तम्बाकू उत्पादों की बिक्री पर रोक लगी है, इसके चलते इसकी उपलब्धता भी ख़त्म हो गयी है। इसके अलावा खुले में थूकने पर भी मनाही है, इस भय से भी लोग अब नशे से तौबा करने में ही अपनी भलाई समझेंगे।
डा. नवीन सिंह का कहना है कि यदि कोई व्यक्ति एक से छह महीने तक नशा न करे तो दृढ़ इच्छा शक्ति और परिवार के सहयोग से सदा के लिए नशे से छुटकारा पा सकता है। जब कभी नशे की लत महसूस हो तो अपनों के बीच बैठ जाइए और उनके साथ समय व्यतीत करें या किसी दूसरे मनपसंद काम में मन लगायें ताकि नशे की ओर ध्यान न जाये। यही छोटी-छोटी तरकीब आजमा कर बेहतर जिन्दगी की तरफ बढ़ चलेंगे।
सामाजिक कार्यकर्ता अशोक श्रीवास्तव का कहना है कि नशे से छुटकारा दिलाने में 4 डी फैक्टर यानि डीप ब्रीथिंग (गहरी सांस लेना), डिनाय (मना करना), डिले (देर करना) और ड्रिंक मोर वाटर (ज्यादा पानी पीना) बहुत ही कारगर साबित हो सकता है। जब कभी नशे की लत महसूस हो गहरी सांस लें और दूसरे कामों में मन लगायें, कोई अगर नशे के लिए आफर भी करे तो मना करने की आदत डालें, नशे की लत महसूस हो तो अन्य कार्यों को तरजीह देकर नशे को टालें और खूब पानी पियें ताकि पेट भरा हुआ महसूस हो और नशे की इच्छा ही न हो।
योग शिक्षक गरूणध्वज पाण्डेय कहते हैं प्राणायाम, अनुलोम विलोम, कपालभाति, भ्रामरी योग और ध्यान भी नशे से मुक्ति दिलाने में बहुत ही सहायक हैं। जो व्यक्ति नियमित प्राणायाम करता है, वह नशीली चीजों के सेवन से अपने आप दूर हो जाता है। इससे खून भी साफ़ होता है और यह एक माह में ही असर दिखाना शुरू कर देता है। नशे की लत के शिकार कुछ लोगों ने बातचीत में माना कि कई बार मन में आता था कि नशा छोड़ दूँ लेकिन घर से निकलता था और रास्ते में दुकान दिखने के बाद बरबस उसी तरफ खिंचा चला जाता था। कभी छोड़ने का मन बनाया तो दोस्तों के दबाव में नशा कर लेता था किन्तु इधर डेढ़ महीने से बड़ी मुश्किल से सब कुछ छूटा हुआ है। क्योंकि अब घर से बाहर निकलना नही हो रहा है, दुकानें भी बंद हैं और दोस्तों से भी मिलना-जुलना बंद है। शुरुआत में कुछ दिक्कत जरूर महसूस हुई लेकिन अब बड़ा सुकून महसूस हो रहा है। अब आगे कभी भी नशे के चक्कर में नहीं पडूंगा।