सारे मुसलमान इस अवसर पर अपने घरों में रहकर इबादत और कुरान शरीफ की तिलावत करें। शबे-बाराअत में इबादत करना सवाब का काम है और इसकी विशेष महत्व है।
आल इण्डिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लेमीन के युवा प्रदेश महासचिव मो0 शोएब आज़म ने शबे-बारात पर सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने की अपील की और सारे मुसलमानों से कहा कि इस अवसर पर अपने घरों में रहकर इबादत और कुरान शरीफ की तिलावत करें। शबे-बाराअत में इबादत करना सवाब का काम है और इसकी विशेष महत्व है। नफ्ली इबादत जितनी अधिक हो सके वह इस रात में अंजाम दें।
अल्लाह राब्बुल इज़्ज़त का ज़िक्र करें। तस्बीह पढ़े, दुआएं करें और अपने गुज़र चुके रिस्तेदारों को सवाब पहुचाने का एहतेमाम करें।
यह सारी इबादतें घर पर रहकर बेहतर तरीके से अंजाम दी जा सकती है। कब्रिस्तान न जाए। इस रात में बाहर निकालना, देर रात सड़क पर हंगामा करना गाड़ियां घूमना, शरीयत और कानून के खिलाफ है। अब जब कोरोना वायरस से पैदा वर्तमान परिस्थितियों में जिनमें मानवीय जिंदगी की सुरक्षा के लिए, सामाजिक दूरी, घरों में रहने के दिशा निर्देश दिए गए हैं।
ऐसे कोई भी कार्य या अमल करना शरीयत के विरुद्ध और कानूनी जुर्म होगा।
स्वास्थ्य विभाग के विशेषज्ञों के अनुसार यह बीमारी एक दूसरे के निकट रहने, हाथ मिलाने यहाँ तक कि किसी चीज़ को छूने और फिर छुई हुई चीज को दूसरे व्यक्ति के छूने के कारण भी फैलता है। जहाँ लोगों का समूह हो वहां तेज़ी से फैलने की शंका है। ऐसी स्थिति में इबादत के महत्व और मानवीय जीवन की सुरक्षा के संबंध में शरई निर्देशो को सामने रखते हुए अपील की जाती है।
कि कब्रिस्तान जाने के बजाए अपने दुनिया से चले गए परिवारजनों, रिश्तेदारों के लिए घर मे रहकर ही सवाब पहुचने का कार्य करें।
गाड़ी पर सवार होकर सड़क पर न घूमे और न ही आतिशबाजी जैसे शरीयत के खिलाफ कार्य करें।
शबे बराअत के अवसर पर अपने घरों से बाहर न निकले बल्कि अपने घरों में नमाज़ और दूसरी इबादतों में खुद को लगाए रहे।
सदका खैरात (अल्लाह के राह में दान) का प्रबंध करे, मोहल्ला और पास पड़ोस में मौजूद गरीब और आर्थिक तौर पर परेशान लोगों की मदद करे।
इस रात में मस्जिदों में फ़र्ज़ नमाज़ की अदायगी के लिए न जाएं बल्कि अपने घरों में रहकर सभी नमाज़ अदा करें। मुल्क और दुनिया मे फैले इस वबा (वायरस) से देश और दुनिया के लोगों की सलामती के लिए दुआए करे।