डॉक्टर प्रशांत कुमार ने दूध उत्पादन में उपयोगी एजोला चारे को बताते हुए कहा कि इससे दूध में वसा की मात्रा बढ़ती है। एजोला के चलते दूध का उत्पादन बीस फीसदी तक बढ़ाया जा सकता है। शंकर नस्लीय गायों में एजोला की सहायता से खर्च भी कम होता है साथ ही दूध का उत्पादन भी 35 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है। इसे राशन के साथ समान अनुपात में मिलाकर पशु को खिलाया जा सकता है। इस प्रकार महंगे राशन से खर्च कम किया जा सकता है।
पशुधनप़सार अधिकारी सुशील कुमार शुक्ला ने बताया कि भारतीय चारागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान झांसी में प्रशिक्षणोंपरांत अस्थाई गौ आश्रय स्थलों पर संरक्षित पशुओंं में निगेटिव फीड बैलैंस कि समस्या को देखते हुए शोभनपार गौआश्रय मेंं विकसित किया जा रहा है ऐसे ही धीर-धीरे अन्य गौ आश्रय स्थलों मे भी विकसित किया जाएगा । पशुपालकों से अपील किया कि इस पौष्टिक हरे चारे का उत्पादन करें ।
फार्मासिस्ट गणेश कुशवाहा ने बताया की नेशनल रिसोर्स डेवलेपमेंट विधि के अनुसार इसे प्लास्टिक शीट के साथ 2 मी.X 2मी. X 0.2मी का क्षेत्र तैयार कर इसमें 15 किग्रा. तक उपजाऊ मिट्टी डालते हैं। फिर इसे 2 किग्रा. गोबर और 30 ग्राम सुपर फास्फेट डालते हैं। इसके बाद में पानी डालकर इसका स्तर 10 सेमी. तक पहुंचा दिया जाता है। अब एजोला की एक किग्रा. की मात्रा को डालते हैं। देखते ही देखते 48 घंटों मे दो गुना ग्रोथ बढ़ जाता है तथा 10 से 15 दिन बाद अजोला की लगभग आधा किलो मात्रा मिलने लगेगी।
इस अवसर पर मुख्य रूप से विश्राम पाल, पवन कुमार यादव, राम दिनेश, जिला पंचायत सदस्य ज्ञान चंद चौधरी , राम अशिष मौर्या, रामकृष्ण, दिनेश कुमार, राकेश चौधरी, जितेंद्र, रामायण चौधरी, मायाराम, राघवेंद्र ,राधेश्याम, कालिका प्रसाद त्रिपाठी आदि उपस्थित रहे।