बीते साल केन्द्र की मोदी सरकार ने कई अहम फैसले लिए, जिनमें जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाना और संशोधित नागरिकता कानून को लागू करना, जैसे फैसले शामिल हैं। पूर्व विदेश सचिव शिवशंकर मेनन ने आशंका व्यक्त की है कि मोदी सरकार के इन फैसलों से भारत वैश्विक स्तर पर अलग.थलग पड़ सकता है।
आज कॉन्सटिट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप और कारवां ए मोहब्बत द्वारा प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित किए गए एक कार्यक्रम के दौरान पूर्व विदेश सचिव शिवशंकर मेनन ने उक्त आशंका व्यक्त की। शिवशंकर मेनन ने कहा कि बीते सालों में हमने अपनी छवि पाकिस्तान के मुकाबले काफी बेहतर बनायी है। जहां पाकिस्तान की पहचान एक कट्टरपंथी और धार्मिक तौर पर संचालित असहिष्णु देश के रूप में है। भारत जो कि उपमहाद्वीपीय देशों के सामने बतौर मॉडल बन सकता था, उसने अपनी इस क्षमता को खो दिया है।
मेनन ने कहा कि इस छवि को त्यागना या अकेले जाना कोई विकल्प नहीं हो सकता लेकिन इस तरह के फैसलों से लगता है कि हम खुद को अलग थलग कर रहे हैं। पूर्व विदेश सचिव ने विदेश मंत्री एस जयशंकर के उस फैसले पर भी सवाल उठाए, जिसमें उन्होंने अमेरिका की विदेश मामलों की कमेटी के साथ होने वाली बैठक को कैंसिल कर दिया था। मेनन ने कहा कि बैठक में शामिल होने और अपना पक्ष रखने की बजाय हमने उसे छोड़ दिया। हमने इससे भारत और अमेरिका के बीच बीते 25 सालों से चले आ रही आपसी समझ को तोड़ दिया।
बता दें कि शिवशंकर मेनन ने भारत.अमेरिका के बीच हुई न्यूक्लियर डील में अहम भूमिक निभायी थी। उन्होंने बताया कि भारत के हालिया फैसलों पर अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर खास समर्थन नहीं मिल रहा है। कई लोगों से मैंने बात की है. वह इस बात पर सहमत हैं कि हमने अन्तरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन किया है और हमें इसके असर को लेकर विचार करना चाहिए।
शिवशंकर मेनन ने कहा कि हमारे दोस्त भी पीछे हट रहे हैं। क्या हम ये ही चाहते हैं क्या हम इसके असर के बारे में सोच रहे हैं हमने अपने विरोधियों को एक प्लेटफॉर्म गिफ्ट कर दिया है जिससे वह हम पर हमला कर सकें।