संतकबीरनगर (उ.प्र.) । धनघटा तहसील में सरयू नदी के जलस्तर में लगातार बृद्धि होने से हैंसर क्षेत्र के लगभग डेढ़ दर्जन गांवों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है। गांवों में जाने वाले सम्पर्क मार्ग बाढ़ में डूबने लगे हैं। मांझा क्षेत्र में सैकड़ों हेक्टेयर फसलें डूबने से किसानों को भारी नुकसान पहुंचा है। दूसरी तरफ नदी में आए उफान को लेकर प्रशासन बेखबर है। बाढ़ से घिरे गांवों के ग्रामीणों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए अब तक नावों की व्यवस्था नहीं की गई है।
शुक्रवार की सुबह तुरकौलिया में नदी खतरे के निशान 79.450 से ऊपर पहुंच चुकी है। तुरकौलिया, चपरा पूर्वी, अशरफपुर गांवों के निकट बन्धो पर नदी का दबाव बना है। इसी प्रकार पौली ब्लाक के रामपुर स्थित संवेदनशील स्थल जीरो प्वाइंट पर नदी का दबाव बंधे पर बना है। सरयू के जलस्तर में भारी बृद्धि को देखते हुए निकटवर्ती गांवों में बाढ़ की आशंका से ग्रामीण भयभीत नजर आने लगे है। तमाम लोगों ने बताया कि जिस तरह से नदी का कटान हो रहा हैं उससे जल्द ही बड़ी घटना हो सकती है।
हैंसर ब्लाक क्षेत्र के एक दर्जन गांवों में बाढ़ से तबाही शुरूहै। खतरे के निशान से ऊपर बह रही सरयू से हैंसर का पूर्वी गायघाट का इलाका सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। करनपुर, कंचनपुर, गायघाट, कठहा, सियरकला, ढोलबजा, चकदहा, भउआपार, गुनवतिया, सरैया, खड़गपुर, सियाराम अधीन, दौलतपुर, गुलहरिया, खालेपुरवा, लाल तुरकौलिया आदि गांव बाढ़ के पानी से घिर चुके है। बाढ़ का पानी रिहायसी घरों में घुसने से सैकड़ों परिवारों पर घर छोड़ने का खतरा मंडराने लगा है।
आस --पास के ग्रामीणों को आशंका है कि 2013 वाली भयावक स्थित पुनः न हो जाय। जमीनों के जलमग्न हो जाने के चलते पशुओं के चारे के लिए काफी परेशानी हो रही है। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से तत्काल मामले को गंभीरता से लेते हुए राहत सामग्री दिए जाने की मांग किया है।
ग्रामीण चन्द्रेश, राम किशुन, चन्द्रभान, वंशराज, मनीराम, राम सजन, नरसिंह, बलिन्दर, रामहित, रामनरेश, झिनकू, जोखन प्रसाद ने बताया कि बृहस्पति वार की रात में बाढ़ का पानी घरों में घुसने लगा है। लोग घरों में रखे सामानों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है। पीड़ितों ने बताया कि गांव के बाहर निकलने वाले सम्पर्क मार्ग पानी मे डूबने से लोगों को बाढ़ से सुरक्षित निकलने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सरयू के उफान में मांझा की सैकड़ों हेक्टेयर फसलें जलमग्न हो गई हैं। फसलों के डूबने से मांझा के किसान चिंता में डूब गए है।
रामपुर से गायघाट के बीच लगभग 32 किलोमीटर मांझा क्षेत्र में इस बार बड़े पैमाने पर धान की खेती की गई थी। इसके अलावा ज्वार बाजरा, हल्दी, अरहर की फसलें खेतो में बोई गई थी। गुलहरिया, चपरा पूर्वी, मदरा, अशरफपुर, जगदीशपुर आदि गांवों के किसानों ने बताया कि फसलों के जलमग्न होने से किसानों की पूंजी डूब गई है। डूबी हुई फसल को लेकर किसानों ने प्रशासन से मुआवजा देने की मांग किया है।
एसडीएम धनघटा प्रमोद कुमार ने बताया कि नदी का जलस्तर बढ़ने से प्रशासन सतर्क है। बाढ़ से घिरे गांवों में नांवों की व्यवस्था कराई जा रही है। बाढ़ की स्थिति में सभी ग्रामीणों को सुरक्षित बाहर निकालना पहली प्राथमिकता है। हल्के के लेखपालों को बाढ़ की स्थित पर नजर रखने का निर्देश दिया गया है। साथ ही विभिन्न स्थानों पर तटबन्धों पर निगाह रखने के निर्देश दिए गए हैं।